विस्तार, काल निर्धारण, नगर नियोजन प्रणाली
हड़प्पा या सिन्धु घाटी की सभ्यता ताम्र-पाषाणकालीन सभ्यता थी. इसका संबंध आद्य इतिहास के अंतर्गत माना जाता है इसकी लिपि को पढ़ा नही जा सका है.
सिन्धु घाटी की सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता इसलिए पड़ा क्योंकि इसका पता सर्वप्रथम 1921 में पाकिस्तान के पश्चिमी पंजाब प्रान्त में स्थित स्थल हड़प्पा से चला.
हड़प्पा सभ्यता की जानकारी का स्त्रोत पुरातात्विक खुदाई है
इसका आकार त्रिभुजाकार है
भौगोलिक क्षेत्रफल लगभग 12,99,600 वर्ग किलोमीटर है।
विस्तार
पूर्व से पश्चिम- 1600 किलोमीटर, उत्तर से दक्षिण- 1400 किलोमीटर इसके अन्तर्गत पंजाब, सिन्ध, बलूचिस्तान, अफगानिस्तान, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर-प्रदेश के भाग शामिल हैं।
काल निर्धारण
सिन्धु सभ्यता का काल निर्धारण रेडियो कार्बन डेटिंग सी-14 के द्वारा 2300-1750 ई.पू. निर्धारित किया गया है। सिन्धु घाटी की सभ्यता मेसोपोटामिया, सुमेर एवं मिस्र के समकालीन थी।
सिन्धु घाटी सभ्यता की नगर योजना
नगर नियोजन प्रणाली: हड़प्पा संस्कृति की एक प्रमुख विशेषता नगर-नियोजन प्रणाली थी. हड़प्पा संस्कृति के नगर दो भागों में बंटे थे, पहला भाग ऊँचाई पर स्थित तथा दुर्गीकृत थे. और जो आवासीय क्षेत्र पश्चिम की तरफ थे वे निचले नगर थे.
नगर के मकान जाल की तरह विन्यस्त थे मकान के दरवाजे किनारे पर होते थे दुर्ग वाले ऊँचे भाग में शासक वर्ग और निचले नगर में सामान्य लोग निवास करते थे.
जल निकासी की प्रणाली सर्वोत्तम थी पक्की ईंटों का उपयोग होता था.
नालियां ईंटों और पत्थरों से ढकी हुई होती थी हड़प्पा सभ्यता के लोग जुताई के लिए मिट्टी के गारे एवं जिप्सम दोनों का प्रयोग करते थे
सड़के प्राय: कच्ची थीं और एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं, सड़के मिट्टी की बनती थीं। सिन्धु सभ्यता के भवनों के निर्माण में कच्ची और पक्की दोनों प्रकार की ईंटों का प्रयोग किया जाता था।