भू–राजस्व संहिता को 2 अक्टूबर, 1959 से लागू किया गया था. छत्तीसगढ़ में 23 नवम्बर, 2000 से इसे छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता 1959 के नाम से जाना जाता है.
इस अधिनियम को बनाने का महत्वपूर्ण कारण ये है, की इससे भू-राजस्व अधिकारियों की शक्ति
भू धारण करने वाले व्यक्तियों के अधिकार एंव उनके दायित्व स्पष्ट हो. छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता 1959
की धारा 170 (ख) आदिवासी भू स्वामियों के हितों को सुरक्षित एंव संरक्षित करती है.
छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता 1959
इस धारा के तहत् यदि कोई भी गैर आदिवासी व्यक्ति किसी आदिवासी व्यक्ति के कृषि भूमि पर कोई कब्ज़ा करता है
या कब्ज़ा रखता है तो उसे ये जानकारी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को देनी होगी.
ये अवगत कराना होगा कि जिस भूमि पर उसने कब्ज़ा किया हुआ है, वह उसके कब्ज़े में कैसे आई फिर इस मामले की जाँच पड़ताल की जाएगी और जाँच में यदि ये पाया जाता है की भूमि पर किया गया कब्ज़ा अवैधानिक है.
तो इस स्थिति में भूमि आदिवासी व्यक्ति को वापस कर दी जायेगी.
और यदि मूल भू-स्वामी जीवित न हो तो उनके वारिसातों को भूमि का कब्ज़ा दे दिया जायेगा.
छत्तीसगढ़ समसामयिकी प्रश्न With Answer 2021